वैलेंटाइन डे एक गम्भीर चुनौती - सत्यम

 वैलेंटाइन डे एक गम्भीर चुनौती - सत्यम

राजगंज : मानों हमने वेलेंटाइन डे को एक परंपरा का रूप देकर इसका निर्वहन करना अपना परम कर्तव्य समझ लिया है।उक्त बातें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राजगंज नगर मंत्री सत्यम ठाकुर ने कहीं।उन्होंने आगे कहा कि आज की युवा पीढ़ी जिस वेलेंटाइन डे को प्रेम दिवस की संज्ञा देकर मना रही है।उन्हें वेलेंटाइन डे की हकीकत से रू-ब-रू कराना बेहद जरूरी है।इसलिए प्रेम जैसे पवित्र शब्द को बदनाम न किया जाए। इसके अर्थ को अनर्थ में न परिवर्तित किया जाए।इसके भाव को कलंकित न किया जाए।आज यहीं समय की मांग है।आज भारतवर्ष में भी प्रेम जैसे पवित्र शब्द पर प्रेम दिवस (वैलेंटाइन डे) के नाम पर विनाशकारी, कामविकार का विकास हो रहा है।जो आगे चलकर डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, खोखलापन, पशु प्रवृत्ति की ओर ढकेल रहा है।

वर्तमान समय में भारतवर्ष में भी पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण करने वाले लोग वैलेंटाइन डे के नाम पर फूहड़ता वाला सप्ताह मनाने लगे हैं।ऐसे भारत देश में वैलेंटाइन डे की गन्दगी से युवा वर्ग जिस दिशा की ओर बढ़ रहा है।वह बहुत ही भयावह है।हम ऐसी संस्कृति का अनुसरण क्यों करें?जिसमें हमारा जीवन अंधकार की घोर खाई की ओर जा रहा हो।इससे तो अच्छा हम अपनी पवित्र संस्कृती अपनाएं। हमारे शास्त्रों में माता-पिता को देवतुल्य माना गया है और इस संसार में अगर कोई हमें निस्वार्थ और सच्चा प्रेम कर सकता है,तो वह हमारे माता-पिता ही हो सकते है।वैलेंटाइन डे भारतीय सभ्यता के लिए एक गंभीर चुनौती है।पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।इसके बावजूद पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में भारत के युवा जकड़े जा रहे हैं।हमारे देश के युवा वर्ग का सही मार्गदर्शन करने के लिए कोई आगे नहीं रहा है।जिसकी वजह से वैलेंटाइन डे भारतीय युवाओं पर हावी हो रहा है। इसलिए भारत के युवकों अपसंस्कृति को छोड़कर भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हों और आगे बढ़े।भारत ही सबका मार्गदर्शन करें,यही आज सभी की ज़िम्मेदारी है।

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