विश्व स्तनपान दिवस के अवसर पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया
माँ का दूध हैं अमृत - मनीषा मीनू
कतरास : श्री कृष्णा मातृ सदन रानी बाजार कतरास में डॉ शिवानी झा के द्वारा विश्व स्तनपान दिवस के अवसर पर स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।स्तनपान के विषय पर मुख्य रूप से मनीषा मीनू ( न्यूट्रिशियन ) ने विस्तृत रूप से उपस्थित माताओ,गर्भवती महिलाओं और प्रसूताओं को जानकारी दी।मनीषा मीनू ने कहा कि स्तनपान के बारे में आज भी काफी संख्या में माताओं में पर्याप्त जानकारी का अभाव देखा गया है।इस कारण बच्चों को पर्याप्त मात्रा में मां का दूध नहीं मिल पाता है।इससे बच्चों मे कई प्रकार की समस्याएं विशेष रूप से कुपोषण जैसी घातक परेशानियां देखने को मिलती हैं, जिन्हें स्तनपान को बढावा देकर ही रोका जा सकता है।मां का दूध शिशुओं का सर्वोत्तम एवं सम्पूर्ण आहार है,जिसका कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।इससे बच्चे एवं मां में भावनात्मक जुड़ाव पैदा होता है और बच्चे का सर्वांगीण विकास होता है।
स्तनपान के बारे में डॉ शिवानी झा ने कहा कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृतपान से कम नहीं है। इसके बाद भी महिलाओं में भ्रांतियों के चलते अपने बच्चे को स्तनपान कराने से कतराती हैं।मां की बदलती सोच बच्चे के स्वास्थ्य पर असर डालती है।चिकित्सक जन्म के बाद बच्चों को मां का दूध पिलवाते हैं।इसके बाद भी कम से कम छह माह तक बच्चे को मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं लेकिन इस सलाह पर अमल नहीं हो पाता।जिससे आगे चलकर बच्चो में कई तरह की परेशानी होती है।अधिकांश माताएं कुछ दिन बाद ही बच्चे को अपना दूध पिलाना बंद कर देती हैं।वह बच्चे को या तो बाजार का डिब्बा बंद दूध देना शुरू कर देती हैं या फिर गाय या भैंस के दूध से काम चलाती हैं,जबकि बच्चे को पैदा होने के छह माह तक स्तनपान कराना चाहिए।
स्तनपान के कई लाभ हैं।जैसे - बच्चे को डायरिया जैसे रोग की संभावना कम हो जाती है,मां के दूध में मौजूद तत्व बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, स्तनपान कराने से मां व बच्चे के मध्य भावनात्मक लगाव बढ़ता है, मां का दूध न मिलने पर बच्चे में कुपोषण व सूखा रोग की संभावना बढ़ जाती है,स्तनपान से मां को स्तन कैंसर की संभावना भी कम हो जाती है, मां का दूध पीने वाले बच्चे का तेजी से विकास होता है।
जागरूकता शिविर में काफी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी।
