विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या "लखी मांई" डॉक्यूमेंट्री फिल्म का हुआ स्क्रीनिंग


 विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या "लखी मांई" डॉक्यूमेंट्री फिल्म का हुआ स्क्रीनिंग

रांची : मंगलवार को भारतीय जनता युवा मोर्चा कला एवं खेल प्रकोष्ठ रांची महानगर और झारखंड की प्रसिद्ध नाट्य संस्था नाट्यालय के संयुक्त तत्वावधान में विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर कांके रोड स्थित डीएवी गांधीनगर स्कूल में प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी के मोटे अनाज कैंपेन को जन - जन तक पहुंचाने के लिए नाट्यालय संस्था के नीतीश कुमार के द्वारा आदिवासी किसान भाईयों पर बनाई गई फिल्म लखी मांई डॉक्यूमेंट्री फिल्म का विशेष स्क्रीनिंग किया गया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य शशांक राज उपस्थिति थे।विशिष्ट अतिथि के तौर पर डीएवी गांधीनगर स्कूल के प्राचार्य एस के सिन्हा,भारतीय जनता युवा मोर्चा रांची महानगर के अध्यक्ष रोमित नारायण सिंह,भारतीय जनता युवा मोर्चा कला एवं खेल प्रकोष्ठ रांची महानगर के संयोजक आशुतोष द्विवेदी,नाट्यालय संस्था के शिवम मनोहरण समेत अन्य कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

सभी ने संयुक्त रूप से नीतीश कुमार के फिल्म लखी मांई के पोस्टर का लोकार्पण कर फिल्म को देखा।

इस अवसर पर कृष्णा प्रसाद,के नलिनी,मेघा आनंद,धीरज कुमार, अभिषेक कुमार साहू समेत अन्य कई लोग उपस्थित थे।होरिल यादव फिल्म प्रोडक्शन की ओर से बनाई गई फिल्म लखी मांई अनाज के ऊपर आधारित फिल्म है।इस फिल्म में झारखंड के कृषि के साथ - साथ यहां के त्यौहारों में अन्न द्वारा की जाने वाले पारंपरिक पूजा को भी चरितार्थ किया गया है।इस फिल्म में आदिवासी किसानों के हजारों साल से कर रहे खेती एव कृषि की परंपरा को जीवंत रखने के लिए प्राचीन सभ्यता और संस्कारो को दिखाया गया है।झारखंड के प्रसिद्ध त्योहार करमा,सरहुल,सोहराई,धुरिया, माघी आदि कई त्योहार से खेती से संबंध को भी दर्शाया गया है।फिल्म में प्राचीन झारखंड के गीत और लोक वाद यंत्रों को भी प्रयोग किया गया है।फिल्म का उद्देश्य यह है कि जिस तरह एक मां अपने बच्चे को 9 महीने में कड़ी संघर्ष से लालन पालन करती है। उसी तरह झारखंड के किसान भी 9 महीने कड़ी,पीड़ा और संघर्ष के बाद अनाज को उपजाते हैं। पानी की कमी सिंचाई की सुविधा के बावजूद भी हमारे किसान भाई हमें अन्न मुहैया कराते है।

हमें हर एक किसान की मदद और सम्मान करना चाहिए।इस फिल्म में कृषि और किसान के सभी परिवेश और संघर्ष को दिखाया गया है।इसलिए हमें अपने अन्नपूर्णा और अन्न के महत्व को समझना चाहिए।अन्न की बर्बादी कभी नहीं करना चाहिए।इस फिल्म की पूरी शूटिंग झारखंड के जिला हजारीबाग बरही प्रखंड रसोईया धमना पंचायत के गांव पुरहारा में की गई है।फिल्म में उसना चावल की कृषि विधि को बताया गया है।फिल्म में खेती के पुराने विधि, रीति रिवाज, परंपरा, जीव जन्तु, प्राकृती की पूजा,स्वास्थ्य के लिए पूजा,भूमि पूजा,गांव पूजा,देवी देवताओं की पूजा आदि कई पूजाओ से कृषि के महत्त्व को समझाया गया है।यह फिल्म नीतीश कुमार के द्वारा बनाई गई है।इसके डीओपी,वॉइस ओवर, एडिटिंग नीतीश कुमार,ड्रोन चंदन कुमार वोइस रिकॉर्डिस्ट प्रणीत, राहुल उरांव,उन्नति,तृषा, म्युजिक में रमेश,मानर खान बड़खाई,स्क्रिप्ट में प्रणय प्रमोद, मृणाल पाठक आदि कई लोगों ने अपनी भूमिका निभाई है।

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