अंतर्ज्ञान को बढ़ाने में सहायक है इंट्यूशन प्रोग्राम
धनबाद। रांची में दी आर्ट ऑफ लिविंग की अंतर्राष्ट्रीय स्तर प्रशिक्षिका श्रेया चुग(बेंगलुरु आश्रम) व उनके साथ वरीय प्रशिक्षिका रुकमणी देवी ( हिमाचल प्रदेश) के द्वारा दो दिवसीय इनट्यूशन प्रोग्राम का संचालन राजयोग केंद्र रांची में हुआ। रांची में 35 बच्चो ने भाग लिया जो बोकारो, जमशेदपुर, सिल्ली से आये थे। झारखंड स्टेट चिल्ड्रन एंड टींस कोऑर्डिनेटर मयंक सिंह और सोनाली सिंह ने इस कार्यक्रम का सुवस्थित व सुचारू रूप से आयोजन किया। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर का कहना है कि अंतर्ज्ञान का अर्थ सही समय पर सही विचार करना है। हमारी चेतना में अपार अज्ञात क्षमता है। अंतर्ज्ञान प्रक्रिया बच्चों को दिमाग की संभावनाओं को सुरक्षित रूप से टैप करने में मदद करती है। यह मन को पांच इंद्रियों से परे देखने और अंतर्ज्ञान या छठी इंद्री तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। एक मजबूत और अच्छी तरह से विकसित अंतर्ज्ञान आपको अच्छे निर्णय लेने, बेहतर संवाद करने और आत्मविश्वास बनाने में मदद करता है। अंतर्ज्ञान खोज और नवाचार में सहायता करता है। इसने बेहतर अकादमिक प्रदर्शन और पारस्परिक संबंधों को दिखाया है। चूंकि यह कुछ अंतर्निहित है और हमारे दैनिक जीवन में स्पष्ट नहीं है, अंतर्ज्ञान को विकसित करने का प्रश्न प्रासंगिक और दिलचस्प हो जाता है। इस कार्यशाला में बच्चो को अत्यंत सहज भाव से अंतर्ज्ञान की वृद्धि हुई। अगला इंटीयूशन प्रोग्राम श्रेया चुग के साथ धनबाद में 10 दिसंबर से राजकमल सरस्वती, अशोक नगर में सायं 4 बजे से प्रारंभ हो रहा, जिसके लिए पंजीकरण अनिवार्य है। कार्यशाला को सफल बनाने में हर्षद वायदा, मुकेश महतो, सरोज कुमारी, पिंटू सिंह, प्रियंका रंजन, राकेश भ्रमर, सोनाली सिंह, शशांक शेखर, मयंक सिंह, रिया तायल, तारीख खान, नवीन चौरसिया, अर्चना चौरसिया, प्रमोद सिंह इत्यादि ने सराहनीय योगदान दिया।
