गर्भाशय कैंसर जागरूकता अभियान का आयोजन

 गर्भाशय कैंसर जागरूकता अभियान का आयोजन


गोविंदपुर : अल-इकरा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज बरियो गोविंदपुर (धनबाद) में गर्भाशय कैंसर जागरूकता अभियान का आयोजन इनर व्हील क्लब धनबाद माइलस्टोन के तत्वाधान में चलाया गया।जिसमें इनर व्हील की अध्यक्ष रश्मि सहाय, उपाध्यक्ष रुक्मिणी झा,सचिव रीतू श्रीवास्तव तथा रेणु कौशल उपस्थित थी।कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था के प्राचार्य डॉ० मो० शमीम अहमद के द्वारा मुख्य वक्ता डॉ० नीतू सहाय को पुष्पगुच्छ देकर किया गया।सचिव डॉ० एस० खालिद के द्वारा रश्मि सहाय को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। महाविद्यालय के अन्य व्याख्यताओं द्वारा इनर व्हील के अन्य सदस्यों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया।इस कार्यक्रम में डॉ० नीतू सहाय ने गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से सम्बन्धित बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।साथ ही साथ उन्होंने गर्भाशय कैंसर के कारण, निवारण, बचाव एवं ईलाज पर विस्तृत चर्चा की।जानकारियाँ प्राप्त करने के पश्चात प्रशिक्षुओं ने बहुत सारे सवाल डॉ० नीतू सहाय से किये।जिसका उत्तर उन्होंने बहुत ही सरल शब्दों में दिया।इस प्रकार के आयोजन को नियमित रूप से कराये जाने पर बल दिया,ताकि इस गम्भीर बीमारी के बारे में महिलाओं को जागरूक किया जा सकें।जिससे समय रहते इस बीमारी का निदान किया जा सके।संस्था के सचिव डॉ० एस० खालिद ने गर्भाशय कैंसर पर अपना बहुमूल्य विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि गर्भाशय कैंसर महिलाओं में होने वाला सर्वप्रमुख प्रकार है।जिससे लाखों महिलाएँ असमय काल के गाल में समा जाती हैं।इस प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन से जागरूकता फैलाकर मौत के आंकड़े को कम किया जा सकता है।कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता धनबाद जनपद की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ न्यूश्री क्लिनिक की डॉ० नीतू सहाय और महिलाओं को इस रोग के बारे में जागरूक किया।ताकि समय रहते ही इस बीमारी की पहचान कर उसका निदान किया जा सके।विदित हो कि गर्भाशय कैंसर महिलाओं में होने वाला आम कैंसर है।जिससे डबल्यू एचओ के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2022 में भारत में 5.3 लाख से अधिक गर्भाशय कैंसर के मामले आये और इस बीमारी से 2.75 लाख से अधिक मौतें हुई।यह कैंसर मुख्य रूप से 40 वर्ष से अधिक की महिला में देखने को मिलता है।डॉ० नीतू सहाय ने गर्भाशय कैंसर के प्रमुख कारकों में अत्यधिक वशायुक्त खान-पान अनियमित दिनचर्या पारिवारिक इतिहास एवं धूम्रपान को बताया। इसकी शुरूआती अवस्था में निदान के लिए लैब परिक्षण, सी०टी० स्कैन, एम. आर०आई० स्कैन, ट्रान्सवेजिनल अल्ट्रासाउण्ड एवं वायोप्सी द्वारा किया जाता है।इसके इलाज में मुख्य रूप से सर्जरी की आवश्यकता होती है।इसके साथ-साथ कीमोथेरेपी, रेडियो थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, इम्यूनो थेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी आदि के द्वारा किया जाता है।


अन्त में उन्होंने कहा कि सही खान-पान पर्याप्त नींद लेने और नियमित रूप से व्यायाम करने जैसी स्वस्थ आदतों का पालन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।इस अवसर पर डॉ० प्रो० निखत परवीन प्रो० अशरफ अली, प्रो० हसनैन अख्तर, प्रो० अब्दुल्लाह, डॉ० मनोज कुमार, प्रो० नादरा रहमान, प्रो० रियाज हुसैन, प्रो० खुर्शिद आलम एवं अन्य कर्मचारीगण उपस्थित थे। मंच का सफल संचालन डॉ० अनवर फातमा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो० ममता सिन्हा ने किया।



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