बाल विवाह रोकने के लिए ‘असम मॉडल’ लागू करें राज्य सरकार - शंकर रवानी।
धनबाद : बाल मुद्दे पर धनबाद जिला में सघन कार्य कर रही झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के संस्थापक एवं बचपन बचाओ आंदोलन के शंकर रवानी ने बाल विवाह और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध को रोकने के लिए असम सरकार को जमीनी स्तर पर निर्णायक कार्रवाई शुरू करने के लिए बधाई दी।साथ ही राज्य सरकार से भी अपने सूबे में इस तरह की कार्रवाई करने की मांग की।उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई से राज्य बाल विवाह की वजह से कम उम्र में मातृत्व,उच्च मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर जैसी गंभीर समस्याओं पर नियंत्रण पाने में सक्षम होगी।इसकी तस्दीक नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ताजा आंकड़े भी करते हैं।इनके अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिनका बाल विवाह किया गया है।यह आंकड़े समस्या की गंभीरता को दिखाते हैं।श्री रवानी ने आगे कहा की असम में यह संख्या राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है।हम मांग करते हैं कि 18 साल तक की उम्र तक शिक्षा को मुफ्त किया जाए।
असम सरकार का यह महत्वपूर्ण कदम,नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए 16 अक्टूबर, 2022 को शुरू किए गए दुनिया के सबसे बड़े ग्रासरूट आंदोलन के ही अनुरूप है।इस अभियान में दो करोड़ से अधिक लोग ने हिस्सा लिया था।इस अभियान में हमारा संगठन झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट भी शामिल हुआ और अपने क्षेत्र में आंदोलन का नेतृत्व किया। इसका नेतृत्व देश के 500 जिलों के 10,000 गांवों की 70,000 से अधिक महिलाओं ने किया था। इस राष्ट्रव्यापी अभियान को 14 राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों ने अपना समर्थन दिया।
श्री रवानी ने आगे कहा कि
बाल विवाह लड़की के शारीरिक और मानसिक सेहत दोनों के लिए हानिकारक है।साथ ही यह उसे शिक्षा से भी वंचित कर देता है।कई मामलों में तो,बाल विवाह के बाद कम उम्र में मां बनने से पैदा हुई जटिलताओं की वजह से उनकी मौत भी हो जाती है। लड़कियों के बचपन को बचाने के लिए बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा पर तुरंत रोक लगना चाहिए।इस कुप्रथा के अंत के लिए सामाजिक जागरुकता से साथ दृढ़ राजनैतिक इच्छा शक्ति की भी अविलंब जरूरत है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS-V) के आंकड़ों के मुताबिक,हमारे राज्य झारखंड में जिनकी शादी 18 साल से पहले हो गई हो ऐसी 20-24 आयु वर्ग की लड़कियों की मातृ मृत्यु दर करीब प्रति लाख पर 56 है। जबकि पहले से ही मातृत्व धारण कर चुकी या सर्वेक्षण के समय 32.2 फीसदी गर्भवती 15-19 आयु वर्ग की लड़कियों की मातृ मृत्यु दर 9.8 फीसदी है।उन्होंने आगे बताया कि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बाल विवाह एक कलंक है जिसे समाज से पूरी तरह खत्म करने की आवश्यकता है।यह कुप्रथा समाज में सैकड़ों साल से अस्तित्व में है,इसे हमें आधुनिक समाज से फौरन खत्म करने की जरूरत है।उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अनुरोध किया हैं कि वे हमारे अपने राज्य में इस कुप्रथा को बढ़ावा देने वाले दोषियों के विरुद्ध तुरंत कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दें।
