सामाजिक गीतों से हैं दिव्यांग कलाकार हारून रशीद की पहचान।
धनबाद।पुराना बाजार टिकियापाड़ा धनबाद के रहने वाले गायक और संगीतकार हारून रशीद की पहचान एक सामाजिक कलाकार के रूप में की जाती हैं।कारण इन्होंने सदैव सामाजिक गीत संगीत का निर्माण किया और अपनी आवाज दी।अभी तक अनुमानित इन्होंने दर्जनों से भी अधिक खोरठा हिंदी गीतों का निर्माण किया और गाया भी।वर्तमान में हारून एक गायक संगीतकार होने के साथ-साथ शमशुल हक़ मेमोरियल टीचर्स ट्रैनिंग कॉलेज में सहायक प्रोफेसर भी हैं।
हारून 20 वर्षो से भी अधिक समय से संगीत की सेवा में लगे हुए हैं और आज भी सक्रिय हैं।इन्होंने संस्कार टीवी के कार्यक्रम आपके भजन में अपने गीत दर्शन दे दे माँ की प्रस्तुति भी दी।इन्होंने संगीत की शिक्षा प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से की और इनके संगीत गुरु दुर्गा राउत और बालकिशन (मुन्ना सिंह ) रहे हैं।हारून रशीद झारखण्ड आइडल 2006 के फाइनलिस्ट,जिनम 2007 के विजेता,बी आई टी आइडल 2010 में तीसरे स्थान पर रहे हैं।इनका पहला म्यूजिक एल्बम हम हैं भारतवासी,जो एक देशभक्ति म्यूजिक एल्बम हैं।इसके बाद हमर झारखण्ड एक खोरठा एल्बम बनाया।साथ ही हमर झारखण्ड के गीत को राजकीय गीत का दर्जा दिलाने के लिए प्रयासरत भी हैं।इसके अलावे स्वच्छ भारत अभियान और झारखण्ड के पर्यटन स्थल के लिए गीत किये हैं।
इनके प्रमुख गीत हमर झारखण्ड,अपन झारखण्ड,बोला झारखण्ड के जय,जल ही तो कल लागय,विनोद बाबू हालय उलगुलान,पांच बछरे आवे परब महान,मतदान हर नागरिक का है अधिकार,स्वच्छ भारत करें हम,मत मारो मत पीटो,कोरोना वाइरस से करना है लड़ाई,टीकाकरण कराना हैं आदि हैं।हारून सदैव ही सामाजिक गीत ही अधिक करते हैं,जिससे समाज जागरूक हो।इनका विचार हैं कि गीत संगीत का निर्माण मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक स्तर का होना आवश्यक हैं।क्योंकि,इनका सीधा असर श्रोताओं पर होता हैं।
हारून गीत संगीत के अतिरिक्त विगत 10 वर्षो से समर्पित कला मंच (एनजीओ) का संचालन कर रहें हैं और संस्था के माध्यम से सरकार द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का गांव-गांव तक प्रचार प्रसार गीत संगीत एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से करतें हैं।इनका संस्था जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय धनबाद के द्वारा 2018 के चयन के आधार पर A ग्रेड कलादल में चयनित हैं।