तीन बार सांसद और विधायक रह चुके ए.के राय का जीवन परिचय || Biography Of Ex MP and MLA AK Ray In Hindi.


तीन बार सांसद और विधायक रह चुके ए.के राय का जीवन परिचय || Biography Of Ex MP and MLA AK Ray In Hindi.

पुरा नाम :- अरूण कुमार राय
पिता का नाम :- स्व. शिवेश चन्द्र राय "एडवोकेट'
माता :- स्व. रेणुका राय
जन्म स्थान -ग्राम - सपूरा जिला-राजसाही पूर्वी बंगाल
शिक्षा - मैट्रिक सन 1951
Bsc (Hons) in chemistry in 1956
जर्मन भाषा की पढाई जर्मन यूनिवर्सिटी कोलकाता 1960
नौकरी- निजीे क्षेत्र मे नौकरी सन- 1959 से 1961 तक
राजनितीक जीवन- C.P.I (M)  M.L.A सिन्द्री
1967 से 1969 तक
भापका से निष्काशन 1971 में
जनवादी किसान संग्राम समिति के M.L.A सिंदरी 1972 में

मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का गठन 29 अप्रैल 1972 को पटना मे किया।

जेंपी के आह्वान पर 1974 मे M.L.A से सबसे पहले इस्तीफा दिया
पहली बार सांसद 1977 (जेल मे रह कर)
दूसरी बार सांसद 1980 धनबाद

तीसरी बार सांसद 1980 धनबाद

सांसद पेंशन एंव अन्य सरकारी सुविधा नही लिया तथा उक्त रकम को देशहीत मे राष्ट्रपति कोश मे दान दे दिया।

जेल जीवन पहली बार बहुत कम उम्र मे  भाषा आन्दोलन मे जेल यात्रा किया।
दूसरी बार बिहार बन्द मे 9 अगस्त 1966 जेल की यात्रा किया।
फिर 1975 मे इमरजेंसी।

जन्म- 15 जून1935 मृत्यु- 21 जुलाई  2019

Ak Ray Biography In Hindi.

देश भर में लहर के बावजूद जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था राय दा ने.

 1977 का लोकसभा चुनाव जयप्रकाश नारायण (जेपी) मूवमेंट के बाद देशव्यापी जनता पार्टी की लहर. जनता पार्टी का टिकट मिलने का मतलब था चुनाव जीत जाना. सिंदरी (धनबाद) से तत्कालीन विधायक एके राय (राय दा) हजारीबाग जेल में बंद थे. जेपी के निर्देश पर जनता पार्टी के लोग राय दा से मिले.  जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया. राय दा ने कहा-‘हम मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) से चुनाव लड़ेंगे.’ लोकसभा का पहला चुनाव. कांग्रेस जैसी पुरानी व मजबूत पार्टी के मुकाबले खुद की बनायी एकदम नयी पार्टी, मगर सिद्धांत से समझौता नहीं. अंतत: राय दा जनता पार्टी समर्थित मासस उम्मीदवार घोषित हुए. जेल में रहकर नामांकन किया. जेल में रहते हुए ही पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते.  खास बात यह कि आपातकाल के विरोध में लोकतंत्र की रक्षा के लिए राय दा ने जिस जेपी मूवमेंट का खुल कर समर्थन किया, विधानसभा से इस्तीफा दिया, जेल तक गये, जब उन्हीं जेपी की जनता पार्टी के टिकट का ऑफर मिला, तो स्वीकार नहीं किया. ऐसे रहे हैं राय दा. टिकट के लिए, सत्ता के लिए नैतिकता, सिद्धांत, मूल्य और विचारधारा से समझौता नहीं करनेवाले राय दा. तीन बार विधायक-तीन बार सांसद रहे : राय दा तीन बार विधायक (1967, 1969 व 1971) और तीन बार सांसद (1977, 1980 व 1989) रहे हैं. कोलकाता विवि से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वह धनबाद जिले के सिंदरी नगर स्थित पीडीआइएल में नौकरी करने आये.  यहां ठेका मजदूरों की व्यथा से व्यथित होकर नौकरी छोड़ राजनीति में कूदे. माकपा के टिकट पर पहली बार वर्ष 1967 में सिंदरी से विधायक बने. वर्ष 1969 में दूसरी बार तथा वर्ष 1972 में तीसरी बार जनवादी संग्राम समिति के बैनर तले सिंदरी के विधायक चुने गये. माकपा से अलग होने के बाद श्री राय ने मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का गठन किया. जेपी आंदोलन के दौरान विधानसभा से इस्तीफा दे कर जेल गये.  जेल से ही पहली बार 1977 में धनबाद के सांसद बने. फिर 1980 में दूसरी बार तथा 1989 में तीसरी बार सांसद चुने गये. धनबाद कोयलांचल में प्रभावशाली  मजदूर संगठन बिहार कोलियरी कामगार यूनियन की स्थापना की. झारखंड आंदोलन को मुकाम तक पहुंचानेवाले राजनीतिक संगठन झारखंड मुक्ति मोर्चा के सूत्रधार रहे.ईमानदारी व सादगी की प्रतिमूर्ति : राजनीति में ईमानदारी व सादगी की प्रतिमूर्ति राय दा ने तीन-तीन बार विधायक व सांसद रहने के बाद भी कोई गाड़ी नहीं ली. एक साइकिल तक नहीं रही. कहीं जमीन नहीं. कोई घर नहीं. कोई बैंक एकाउंट नहीं. पहनावा मामूली कुरता-पायजामा, वह भी बगैर प्रेस किया. पैर में प्लास्टिक की चप्पल. बिना खटिया-पलंग के जमीन पर चटाई बिछा कर सोते रहे. हवा के लिए हाथ का पंखा. घर-ऑफिस कहीं भी बिजली से चलने वाला पंखा नहीं. भीषण गर्मी में भी बिना पंखे के सोते रहे. घर-ऑफिस की खुद सफाई करते रहे. कपड़े भी खुद धोते रहे. विधायक-सांसद रहते हुए राय दा ने कभी किसी तरह की सरकारी सुविधा नहीं ली. कभी कोई सुरक्षाकर्मी व अंगरक्षक नहीं लिया.  विधायक-सांसद रहते हुए हमेशा आम जनता की तरह बस-टेंपो-ट्रेकर में सफर किया. किसी कैडर की मोटरसाइकिल पर घुमे. बतौर सांसद नयी दिल्ली ट्रेन से सफर किया, वह भी स्लीपर में. फर्स्ट क्लास तो दूर की बात है, कभी एसी बोगी में नहीं चढ़े. राय दा ने हर उन सुविधाओं का त्याग किया, जिससे देश की गरीब जनता वंचित है.

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